मिस्टर नटवरलाल (1979): ठग, हीरो और बच्चन की पहली ‘बेबाक़’ आवाज़

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

1979 में एक फिल्म आई जो ठगी की दुनिया से सीधा निकली थी, लेकिन अंदाज़ ऐसा कि जनता कह उठी — “ठगी हो तो ऐसी!”
नाम था – मिस्टर नटवरलाल — और हीरो थे अमिताभ बच्चन, जो इस बार सिर्फ एक्शन नहीं, गाना भी गा रहे थे। हां, आपने सही पढ़ा — गाना! और वो भी बच्चों के लिए।

कहानी में ट्विस्ट है, और बाघ भी!

छोटे नटवर के प्यारे भाई इंस्पेक्टर गिरधारीलाल (अजीत साहब, अपनी शानदार भारी आवाज़ में) को विक्रम सिंह (अमजद खान) झूठे केस में फंसा देता है।
अब बड़ा होकर बच्चन साहब बन जाते हैं “मिस्टर नटवरलाल”, और मिशन होता है — बदला

और हां, रास्ते में आते हैं:

  • हीरे का हार

  • बाघ से डरे गांववाले

  • फर्जी शिकारी बनकर गांव में घुसता हीरो

  • और सबको उल्लू बनाता असली ठग (पर जनता के लिए रॉबिनहुड)

अमिताभ बच्चन का पहला गाना – ‘मेरे पास आओ मेरे दोस्तों…’

“स्टूडियो वाले भी हैरान, जनता दीवानी!”

ये पहला मौका था जब बिग बी ने फिल्म में खुद गाना गाया — और वो भी बच्चों के लिए कहानी सुनाते हुए।
गायक थे? खुद बच्चन साहब।
गीतकार? आनंद बख्शी।
संगीत? राजेश रोशन।

यह गाना उस दौर का ट्रेंड ब्रेकर था — और बाद में ये ‘चलन’ बन गया, जिसे लावारिस, सिलसिला और पुकार ने आगे बढ़ाया।

संगीत जो आज भी “परदेसिया” में झूमता है

हिट गाने:

  •  परदेसिया ये सच है पिया (किशोर कुमार, लता मंगेशकर)

  •  ऊंची ऊंची बातों से (रफी साहब, उषा मंगेशकर)

  •  तौबा तौबा (आशा भोसले)

और हां, “कयामत है…” जैसे गाने उस दौर की म्यूजिक डायवर्सिटी का सबूत हैं।

फिल्मफेयर नॉमिनेशन और बॉक्स ऑफिस बवाल

नॉमिनेटेड फॉर:

  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – अमिताभ बच्चन

  • सर्वश्रेष्ठ संगीत – राजेश रोशन

  • सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक – अमिताभ बच्चन (जी हां, गायक!)

और बॉक्स ऑफिस क्या कहता है?
ट्रेड गाइड के अनुसार – सुपरहिट!
आज की भाषा में कहें तो – “Certified BLOCKBUSTER”।

लोकेशन भी फ़िल्मी – कश्मीर का रोमांस, बाघ का आतंक

कश्मीर की वादियों में रोमांस और बाघ का डर साथ-साथ। फिल्म की ज़्यादातर शूटिंग बीरवाह (जम्मू-कश्मीर) में हुई थी।

और हां, ठग के नाम पर बनी फिल्म…

जिसका असली इंस्पिरेशन था — ‘नटवरलाल’, भारत का रियल ठग। बच्चन साहब ने पर्दे पर ठग को ऐसा पेश किया कि लोग ठग को भी हीरो मानने लगे।

ठग थे या सुपरस्टार? या दोनों?

मिस्टर नटवरलाल सिर्फ फिल्म नहीं, वो एक ट्रेंड था — जहाँ हीरो गाना गाता है, ठग भी इंसाफ करता है, और बाघ CGI नहीं, असली डर था!

“सर्दी-ज़ुकाम में डॉक्टर नहीं, गूगल से इलाज? संभल जाओ दोस्त!”

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